रिपोर्ट - हरेंद्र शुक्ला
बरेका में इको फ्रेंडली रावण का पुतला तैयार, दशानन के पुतले की लंबाई 75 फीट
पुतले में रंग भरने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया है इसके साथ ही जब रावण जले तो पर्यावरण को नुकसान न हो इसके लिए पटाखे भी इकोफ्रेंडली प्रयोग किए गए हैं।
वाराणसी के बरेका मैदान में इस बार दशानन का आकर्षण और भी खास दिखने वाला है। इस बार 75 फीट का रावण का पुतला बनाया गया है। इसके साथ ही कुंभकर्ण 65 फीट और मेघनाद का 55 फीट का पुतला बनाया गया है। इस बार इन पुतलों की खासियत सिर्फ इनका आकार ही नहीं है बल्कि इन्हें इकोफ्रेंडली बनाया गया है।
वाराणसी के बरेका मैदान में इस बार 75 फीट का रावण, 65 फीट का कुंभकर्ण और 55 फीट के मेघनाद का पुतला बनकर तैयार हो गया है। आज शाम को ये पुतले खड़े कर दिए जाएंगे। पुतलों के खड़े होने के साथ ही दशहरा पर्व पर इनका आकर्षण खास होने वाला है। 45 दिनों की तपस्या की सफलता के बाद बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक पर्व को मनाया जाएगा।
बता दें कि बरेका में तैयार होने वाला रावण का पुतला साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता है। एक मुस्लिम परिवार तीन पुश्तों से रावण के पुतले को तैयार करता है । पुतले को तैयार करने वाले शमसाद खां की माने तो पहले उनके नाना बरेका के पुतले को बनाते थे उसके बाद इनके पिता भी पुतले बनाते थे और अब ये अपने सात साथियों के साथ परिवार को साथ लेकर पुतले बनाते हैं।
बताते चलें कि पुतले को बनाने में पूरी शुद्धता का ध्यान रखते हैं इतना ही नहीं पहले पुतले को लकड़ी और पेपर से आकार दिया जाता है। उसके बाद आकृति उकेरकर उसमें रंग भरे जाते हैं और इस पूरी प्रक्रिया में 45 दिनों का समय लगता है इन दिनों में जैसे जैसे पुतला तैयार होता है इनका काम लगातार बढ़ जाता है पुतला बनाने के साथ समय निकालकर इबादत कर लेते हैं। जब इनसे ये सवाल पूछा गया कि आप हिंदू धर्म का पुतला लगा रहे हैं तो इन्होंने कहा कि ये बातें सियासतदानों की हैं जमीन पर हमारी तहजीब भाईचारे की है।
इस बार रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले को इको फ्रेंडली बनाया गया है और बरेका के पुतले प्रकृति रक्षा का संदेश देते नजर आने वाले हैं। पुतले में रंग भरने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया है इसके साथ ही जब रावण जले तो पर्यावरण को नुकसान न हो इसके लिए पटाखे भी इकोफ्रेंडली प्रयोग किए गए हैं।