IIT कानपुर की स्टडी खुलासा हुआ कि उत्तरकाशी में जहां टनल हादसा हुआ था, वहां नीचे फॉल्ट लाइंस मौजूद हैं।
IIT कानपुर की स्टडी खुलासा हुआ कि उत्तरकाशी में जहां टनल हादसा हुआ था, वहां नीचे फॉल्ट लाइंस मौजूद हैं। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद मलिक ने कहा कि फॉल्ट लाइंस के ऊपर कंस्ट्रक्शन हादसे का एक कारण था। फॉल्ट लाइंस पर किसी भी तरीके का कंस्ट्रक्शन हो, चाहे वह टनल हो या रोड, वह टूटेगा ही। हिमालय के इस एरिया में गहनता से जांच की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि 12 नवंबर को दिवाली के दिन सुबह यह हादसा तब हुआ था, जब निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था। उस दिन दीपावली की वजह से टनल का काम सुबह 8 बजे बंद होने वाला था। मजदूर त्योहार मनाने के लिए बाहर आने वाले थे, लेकिन सुबह करीब 4 बजे टनल में मलबा गिर गया और 41 मजदूर टनल के अंदर फंस गए।
हादसे के बाद टनल में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिशों में जुट गई। NDRF-SDRF समेत तमाम रेस्क्यू टीमों ने मजदूरों को निकालने के लिए अभियान चलाया। 17 दिन बचाव टीम 41 जिंदगियों को बचाने में जुटी रही। मजदूरों को निकालने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन, वर्टिकल-हॉरिजंटेल ड्रीलिंग, मैनुअल ड्रीलिंग का सहारा लिया गया। अंत में रेस्क्यू टीमों ने रैट होल माइनिंग और सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग करके सभी मजदूरों को एक पाइप की मदद से बाहर निकाला है।