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अगर इंडिया वर्ल्ड कप जीत जाता तो लोग बात करते, पर नतीजे नियत का प्रमाण नही होते है।

रेहान की कलम से

अगर इंडिया वर्ल्ड कप जीत जाता तो लोग बात करते, पर नतीजे नियत का प्रमाण नही होते है। 


इन दोनो ने मिलकर इस वर्ल्ड कप में 1362 रन बनाए है। कोई ऐसा मैच नही था जिसमे दोनो में से कोई एक पिच पर खड़ा न रह गया हो। हर मैच में हम दाए देखते, बाए देखते, अगर कही पर भी ये दोनो खड़े है तो सुकून रहता था। ये दोनो जब इस वर्ल्डकप में उतरे तो इनके साथ इनका रुतबा उतरा था। हर वर्ल्ड कप में कोई न कोई ऐसा खिलाड़ी होता है जो सब कुछ जीत कर यहां आता है। फिर वर्ल्ड कप का दबाव उसकी परीक्षा लेता है, आपकी काबिलियत आपके रिकॉर्ड्स कुछ मायने नही रखते। हा अगर आप फेल होते है, तो सब कुछ गिनाया जाता है आपको। दुनिया हिकारत से देखकर कहती है कि यार तुम से तो उम्मीद थी ना। 

अगर इंडिया वर्ल्ड कप जीत जाता तो लोग बात करते, पर नतीजे नियत का प्रमाण नही होते है। इन दोनो में से एक खिलाड़ी ऐसा है जो पिछले वर्ल्ड कप का कप्तान था, कैसे हटा क्यू हटा ये बहस की बात है पर जब इसके हटने पर ये दूसरा आदमी कप्तानी करने आया तो टीम बिखरी नही हमारी, ना ही दो ग्रुप में बटी। दो अलग अलग अंदाज में क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी, जो आप के मानने या न मानने के मोहताज नहीं है, दुनिया इन्हे महान मानती है। दोनो ने जिस तरह से एक दूसरे का साथ दिया है इस वर्ल्डकप में वो मिसाल बन जायेगी इतिहास में।


वर्ल्ड कप के शुरू से ही रोल तय था दोनो का। एक को जिम्मेदारी दी गई लंबा खेलो डीप लेकर जाओ गेम को। एक ने जिम्मेदारी उठाई कि बात आखिर तक पहुंचने ही नही देंगे, जो है सब पावर प्ले में समेट लो। प्लान मुश्किल था, पर दस मैच तक दोनो ने क्या खूबसूरत तरीके से अपना अपना रोल निभाया। मैच के बीच में रोहित शर्मा दस बार मैसेज भेजता, कि कोहली को बिल्ड करने दो, बाकी सब उसके किनारे किनारे खेलेंगे। दस बार कोहली ड्रेसिंग रूम की तरफ इशारे से पूछता कि मैं ठीक कर रहा हूं ना। इस कदर का समर्पण टीम के लिए। ये दोनो बड़ा नाम है, जहा नाम बड़ा हो वहा इगो सेल्फ रिस्पेक्ट की खोल ओढ़े आ ही जाता है। पर क्या प्लानिंग से चले है ये दोनो पूरे वर्ल्डकप में।कही कोई इगो नही, बच्चो की तरह जीत पर एक दूसरे से लिपट कर जश्न मनाते थे, और आज बच्चो की तरह एक कोने में उदास खड़े है।


कोई कैसे इन दोनो के एफर्ट को नजरंदाज कर सकता है? क्यू दुख होगा की वर्ल्ड कप नही जीते। हमारी टीम फाइनल के दिन अच्छी नही खेली, फैक्ट है। पर इन दोनो ने मिलकर जिस तरह से कोशिश की है न, मुझे नही दिखता क्रिकेट इतिहास में। आप अपनी टीम के सबसे बेहतरीन दो बल्लेबाजों से यही उम्मीद करते है, बड़े मंच पर बड़े मौके पर आपको यही एफर्ट चाहिए होता है। हर टीम के फैंस चाहते है, पर इंडिया क्रिकेट टीम के फैंस लकी है जो उनके पास ये दो खिलाड़ी है। आप अपनी राय बना सकते है, पर कल फाइनल में ये दोनो वही करते हुए आउट हुए जो पूरे टूर्नामेंट में कर रहे थे। इनके पास प्लान था, बस ऑस्ट्रेलिया ने हमसे बेहतर तरीके से प्लान एक्सक्यूट किया। मैने अपने होश में टीम इंडिया को इतनी बेहतरीन प्लानिंग के साथ क्रिकेट खेलते हुए कभी नही देखा। एक लय में बंधी हुई थी टीम, और उसकी वजह ये दोनो सीनियर खिलाड़ी थे। शायद इन दोनो का ये आखिरी वर्ल्ड कप हो, पर जब भी क्रिकेट में वर्ल्ड कप में सीनियर खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस पर बात होगी तो इन दोनो का जिक्र सबसे पहले होगा। क्रिकेट में बहुत से मोमेंट होते है, पर मेरा फेवरेट मोमेंट इन दोनो को साथ में क्रिकेट खेलते हुए देखना है। ओपनिंग जोड़ी बोलिंग जोड़ी बहुत है दुनिया में, पर ये दोनो खास है और बेहतर है बाकी से। इन दोनो ने उम्मीद के मुताबिक खेल दिखाया है, कोई कसर नही छोड़ी अपनी तरफ से, फाइटर है दोनो।



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